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Saturday, March 31, 2012

अंगूठी का नगीन

माना कि तेरे दिल में कोई और मकीन है..
तू फिर भी मेरा ग़म है, अकीदा है यकीन है...

ये आइना तुझे तेरी खबर दे ना सकेगा..
आ देख मेरी आँखों से तू कितना हसीन है...

मैं जब्र के सजदो से कहीं टूट ना जाऊं..
पत्थर के खुदाओ मेरी शीशे कि जबीन है...

पलकों से तराशा था हमने कभी जो हीरा...
मत पूछ कि अब किस कि अंगूठी का नगीन है...

*^*..एक ख्वाब..*^*


1 comment:

  1. ये आइना तुझे तेरी खबर दे ना सकेगा..
    आ देख मेरी आँखों से तू कितना हसीन है...

    वाह...बहुत अच्छी प्रस्तुति,....
    फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,......

    आप अपने कमेंट्स बाक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा ले,इसके कारण कमेंट्स देने में परेशानी और समय बर्बाद होता है,..कृपया ध्यान दे

    RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

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