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Monday, February 6, 2012

गज़ल - प्यार भले कितना ही कर लो,



प्यार भले कितना ही कर लो, दिल में कौन बसाता है .
मीत बना कर जिसको देखो, उतना ही तड़पाता है .
मेरा दिल आवारा पागल, नगमें प्यार के गाता है
ठोकर कितनी ही खाई पर बाज नही यह आता है .
मतलब की है सारी दुनिया कौन किसे पहचाने रे
कौन करे अब किस पे भरोसा, हर कोई भरमाता है .
अपना दुख ही सबको लगता सबसे भारी दुनिया में
बस अपने ही दुख में डूबा अपना राग ही गाता है .
खून के रिश्तों पर भी देखो छाई पैसे की माया
देख के अपनो की खुशियों को हर चेहरा मुरझाता है .
कहते हैं अब सारी दुनिया सिमटी मुट्ठी में लेकिन
सात समंदर पार का सपना सपना ही रह जाता है .
इंसा नाच रहा हैवां बन, कलयुग की कैसी छाया
मैने जिसको अपना माना, मुझको विष वो पिलाता है .
आँख में मेरी आते आंसू, जब भी करता याद उसे
दूर नही वह मुझसे लेकिन, पास नही आ पाता है .
इक लम्हे के लिए भी जिसने, अपना दिल मुझको सौंपा
जीवन भर फिर याद से अपनी, मुझको क्यूँ वो रुलाता है .
मेरे पैरों में सर रख कर, दर्द की दी उसने दुहाई
दर्द की लेकर मुझसे दवाई मुझको आँख दिखाता है .

**EK KHWAAB'S** 


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