Followers

Friday, February 24, 2012

के अब जाना होगा

अब आंसुओं को आँखों में ही सजाना होगा,
चिराग बुझ गए-- अब खुद को जलाना होगा.
 तुम समझते हो के खुश हैं हम बिछड़ कर तुमसे,
अरे नासमझ हमे दुनिया की खातिर मुस्कुराना होगा.

तुम न आओगे मिलने इस बार फिर से,
हम जानते हैं तेरा क्या बहाना होगा.
पैरों में लगी होगी तेरे मेहँदी,
या तुझे किसी और से मिलने जाना होगा.

हम सोचते ही रह गए तेरे आने का सबब,
लगता है फिर से दिल को उम्मीदों से सजाना होगा.
वादे बेफतूली कर के मुस्कुराते हो आप जिस कदर,
देखना एक रोज़ आपको पछताना होगा.

लहू से लिख जाऊंगा कफ़न पे नाम तेरा अपने,
कलेजा थाम कर अपने हाथों में तुम्हे आना होगा.
न कीजिये तकाज़े मसरूफियत के अभी से,
अभी अर्थी है उठनी बाकी कंधा तो लगाना होगा,

अब चैन से सोयेंगे तेरे इश्क का कफ़न ओढ़ कर,
कहा इस जग में हमसा कोई दीवाना होगा,
किया है मुद्दतों इंतज़ार तेरा ऐ दोस्त सलीके से,
बहुत थक गया  ये "ख्वाब" के अब जाना होगा
**एक ख्वाब**

No comments:

Post a Comment