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Monday, February 6, 2012

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ



कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के जज्बात लिखूँ या सपनो की सौगात लिखूँ
कुछ समझूँ या मैं समझाऊँ या सुन के चलता ही जाऊँ
पतझड़ सावन बरसात लिखूँ या ओस की बूँद की बात लिखूं
मै खिलता सूरज आज लिखूँ या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखूँ या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखूँ या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँखों की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लूँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चों से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाऊँ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊँ या लंका रावण राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊँ या बेबस इन्सान लिखूँ
मै ऎक ही मजहब को जी लूँ या मजहब की आँखें चार लिखूँ
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ

**EK KHWAAB** 



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