प्यार
भले कितना ही कर लो, दिल में कौन बसाता है .
मीत
बना कर जिसको देखो, उतना ही तड़पाता है .
मेरा
दिल आवारा पागल, नगमें प्यार के गाता है
ठोकर
कितनी ही खाई पर बाज नही यह आता है .
मतलब
की है सारी दुनिया कौन किसे पहचाने रे
कौन
करे अब किस पे भरोसा, हर कोई भरमाता है .
अपना
दुख ही सबको लगता सबसे भारी दुनिया में
बस
अपने ही दुख में डूबा अपना राग ही गाता है .
खून
के रिश्तों पर भी देखो छाई पैसे की माया
देख
के अपनो की खुशियों को हर चेहरा मुरझाता है .
कहते
हैं अब सारी दुनिया सिमटी मुट्ठी में लेकिन
सात
समंदर पार का सपना सपना ही रह जाता है .
इंसा
नाच रहा हैवां बन, कलयुग की कैसी छाया
मैने
जिसको अपना माना, मुझको विष वो पिलाता है .
आँख
में मेरी आते आंसू, जब भी करता याद उसे
दूर
नही वह मुझसे लेकिन, पास नही आ पाता है .
इक
लम्हे के लिए भी जिसने, अपना दिल मुझको सौंपा
जीवन
भर फिर याद से अपनी, मुझको क्यूँ वो रुलाता है .
मेरे
पैरों में सर रख कर, दर्द की दी उसने दुहाई
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