तन्हाई में ये गीत गाता रहा हु मै,
ज़ख़्म गहरा हो चाहे जितना ,
मुस्कुराता रहा हु मै.
एक बार जो लुटा था नशेमन खुवाब का,
हर बार उन्हें जोड़ के जाता रहा हु मै,
तन्हाई में ये गीत गाता रहा हु मै.
तुम दूर हो बैठे मेरी बेजां निगाह से,
तुम दूर - - - - - - - - - - - -निगाह से,
पर हरकतें तेरी निहारता रहा हु मै.,
तन्हाई में ये गीत गाता रहा हु मै.
एक बार जो मिलो तो मिल के मुस्कुरा देना,
तुम हंस के मांगना भले फिर जां मांग लेना.
तेरे वायदे कसम तेरी जोड़ता रहा हु मै ,
एक सांस आखरी तुझे बुलाता रहा हु मै.,
तन्हाई में ये गीत गाता रहा हु मै.
कुर्बान गर हुआ तो भी चाहूँगा तुझको,
हर दर पे खुदा से मांगता रहूँगा तुझको.
हर बार दर्द -ए- निशानी संभालता रहा हु मै,
हर तीर निशाने का निकालता रहा हु मै,
तन्हाई में ये गीत गाता रहा हु मै.
कुर्बान गर हुआ तो भी चाहूँगा तुझको,
ReplyDeleteहर दर पे खुदा से मांगता रहूँगा तुझको.
हर बार दर्द -ए- निशानी संभालता रहा हु मै,
हर तीर निशाने का निकालता रहा हु मै,
तन्हाई में ये गीत गाता रहा हु मै.
आपकी अभिव्यक्तियां मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गयी । बहुत ही सुंदर भावों से रची बुनी इस प्रस्तुति की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह बहुत ही कम है । आप निरंतर सृजनरत रहें । मेरा मनोबल बढाने के लिए धन्यवाद । Please remove word verification.
Sarovar Sahab bahut bahut dhanyawaad k aap yaha aaye kripya isi tarah hume prerit karte rahe.
DeleteAabhaar sir ji.
मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
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