हालाँकि हर एक से तो महोब्बत
नहीं रही
पर दिल मे किसी के लिए नफरत नहीं
रही
माँ बाप को वो अपने सताता है
नाखलफ
कहता है खुदाया तेरी बरकत नहीं
रही
ये कह के वो बचने लगा है अजान से
बुलंदी मे हूँ अब सजदे की आदत
नहीं रही
जिसकी आँखों में कटी थी ये
ज़िन्दगी
कहा है उसने अब तेरी ज़रूरत नहीं
रही
फिर यूँ हुआ राहे वफ़ा उसने भी
छोड़ दी
हम को भी महोब्बत से महोब्बत
नहीं रही
दीवानावार रो पड़ा उस रोज वो
"ख्वाब"
फिर किसी से भी कोई शिकायत नहीं
रही.
फिर यूँ हुआ राहे वफ़ा उसने भी छोड़ दी
ReplyDeleteहम को भी महोब्बत से महोब्बत नहीं रही
दीवानावार रो पड़ा उस रोज वो "ख्वाब"
फिर किसी से भी कोई शिकायत नहीं रही.
behtreen likha hai...
jai hind jai bharat
Dhanyawaad Vijay ji behad khushi hui aap yaha aaye.
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